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आरती का समय

सुबह आरती

का समय

8:00 AM

शाम आरती

का समय

8:00 PM

अभिषेक का

समय

5:30 AM To 6:30 AM

मन्दिर सुबह 5 बजे

से सुबह 12 बजे

तक ही खुलेगा !

मन्दिर शाम 5 बजे

से शाम 12 बजे

तक ही खुलेगा !

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AARTI LYRICS

Jai Ganesh Deva Aarti

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी ।
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी ॥

पान चड़ें, फूल चड़ें और चड़ें मेवा ।
लडुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥

अंधें को आँख देत, कोड़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

सूरश्याम शारण आए सफल कीजे सेवा |
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

Sukhakarta Dukhakarta Aarti

सुखकर्ता दु:खहर्ता वार्ता विघ्नाची/
नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची //
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची /
कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची // 1 //
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती //
दर्शनमात्रे मन कामना पुरती // धृ //
रत्नखचीत फरा तुझ गौरीकुमरा /
चंदनची उटी कुमकुम केशरा //
हिरे जडीत मुकुट शोभतो बरा/
ऋण झून तेणु पुरी चरणी घागरिया// 2 //
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती //
दर्शनमात्रे मन कामना पुरती //
लंबोदर पीतांबर फणिवर बंधना /
सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना //
दास रामाचा वाट पाहे सदना /
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवरवंदना// 3 //
जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती /
दर्शनमात्रे मन कामना पुरती //

Shendur lal chadhayo Aarti

शेंदूर लाल चढायो अच्छा गजमुखको ||
दोंदिल लाल बिराजे सूत गौरीहरको ||
हाथ लिए गुड-लड्डू साईं सुरवरको ||
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पदको || 1 ||

जय जय श्री गणराज विध्यासुखदाता || धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ||

अष्टो सिद्धि दासी संकटको बैरी ||
विघनाविनाशन मंगल मूरत अधिकारी ||
कोटि सूरजप्रकाश ऐसी छबि तेरी ||
गंड-स्थल मदमस्तक झूले शाशिहारी || 2 ||

जय जय श्री गणराज विध्यासुखदाता || धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ||

भावभगत से कोई शरणागत आवे ||
संतति सम्पति सभी भरपूर पावे ||
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे ||
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे || 3 ||

जय जय श्री गणराज विध्यासुखदाता || धन्य तुम्हारा दर्शन मेरा मन रमता ||

Jai Dev Aarti

(जयदेव जयदेव जय मंगल मूर्ति हो श्रीमंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनन कामना पूर्ति जयदेव जयदेव ) – २
सिंदूर लाल चढायो अपने ही मनन का
सुन्दर लाल विराजे सूत गौरी -शिव का
हाथ में है गूढ़ लड्डू प्रभु गजानन के
महिमा कहू तो कैसे , झुकाऊ सर पद में , जयदेव जदेव

गणेशा तेरा रूप निराला
कोटि सूर्य का है तुझमें उजाला
लंबोदर पीतांबर तेरा क्या कहना
सरल सुन्द वक्र तुन्दत्री नैना , जयदेव जयदेव
सिंदूर रंजित हर अंग सुन्दर
मोतियाँ का माला चमके गले पर
हर गुण सपन्न ओ गौरी नंदन
तुझको भाये कुमकुम केसर चन्दन , जयदेव जयदेव

ग्यानी दानी तू है सिध्हिदाता
सबके लिए तेरा प्यार बरसता
तेरी लीला जग में है न्यारी
करता है तू मुसे की सवारी , जयदेव जयदेव
मनन की आँखें ढूंढे है तुझको
दे दो अब्ब तो दर्शन हमको
अपने सेवक के घर पे तू आना
संकट में हम सब की रक्षा तू करना , जयदेव जयदेव
सिंदूर लाल चढायो अपने ही मनन का
सुन्दर लाल विराजे सूत गौरी -शिव का
हाथ में है गूढ़ लड्डू प्रभु गजानन के
महिमा कहू तो कैसे , झुकाऊ सर पद में , जयदेव जदेव
जय जय श्री गजराज विद्या सुख दाता , हर विघ्न हरता
धन्य दर्शन तुम्हारा मेरा मनन रमता , जयदेव जदेव
(जयदेव जयदेव जय मंगल मूर्ति हो श्रीमंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनन कामना पूर्ति जयदेव जयदेव ) – 2